साल 2035 तक ये कंपनी बनना चाहती है वाहन मार्केट का शहंशाह, EV लीडिंग कंपनी बनने के देख रही ख्वाब

टोयोटा कंपनी को लग रहा है कि साल 2035 से सभी यूरोपीय देशों में इलेक्ट्रिक कारों की सप्लाई करेगी। गौरतलब ये है कि टोयोटा EVs की गाडियां मार्केट में बेहद ही कम है। उसके बावजूद कंपनी ऐसे खयाली पुलाव पका रही है तो उसके पीछे जरूर ही कोई कारण होगा। तो आइए जानते हैं ऐसा क्यों कर रही है कंपनी

क्या है इतने बड़े फैसले का कारण

बता दें कि व्हीकल ग्लोबल मार्केट में अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल को अनिवार्यता देने में देरी हो रही है लेकिन यूरोप एक मात्र ऐसा देश है जो की साल 2035 तक ईधन फ्री करने के लिए EVs को लेकर बड़ा कानून लाने वाली है। जिसके चलते वो व्हीकल की दुनिया से सिर्फ और सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल ही खरीदेगी। जिसकी वजह से toyota vehicle market में एकमात्र इलेक्ट्रिक व्हीकल सप्लायर बनकर बड़े पैमाने पर उभरना चाहती है।

टोयोटा यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित यूरो 7 एमिशन नॉर्म्स का समर्थन नहीं करती है। यह एमिशन नॉर्म्स कार निर्माताओं को 2021 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने बड़े के औसत CO2 एमिशन को 55 फीसदी तक कम करने के लिए मजबूर करता है।

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2030 तक 55 फीसद तक होगी हिस्सेदारी

चीफ ऑपरेशन अधिकारी हैरिसन का कहना है कि कंपनी साल 2030 तक 55 फीसद मूल रूप से EVs की सप्लाई करने लगेगी । क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार टोयोटा 2022 में जीरो से लेकर आज अपनी बिक्री 15% तक कर ली है। साथ ही साथ कंपनी ये भी ख्वाब देखने लगी है साल 2030 तक नहीं कुछ तो वो 55 फीसद अपना पांव जमा लेगी।

केवल इलेक्ट्रिक कार ही बेचेगी कंपनी

वैसे तो ये सब जानते हैं की यूरोप खास बाजारों में से एक है लेकिन वहां सिर्फ अब कुछ की हाइड्रोजन फ्यूल के स्टेशन हैं। इसीलिए जितने हाइड्रोजन फ्यूल वाले ऑटोमेकर हैं वे इस फैसले से खुश नहीं हैं। इतना सब होने के बावजूद ये देश पूरी तरीके से यहां पर electric vehicle स्थापित करने की तैयारी में है। सुनने में तो ये भी आया है कि यूरोप EV charging का infrastructure काफी बड़ा है जिसके चलते वे अपने यहां के वाहनों के लिए कड़े कानून लाकर उन्हें EVs में परिवर्तित करना चाहते हैं।

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